Friday, April 26, 2024
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Period: गाय, अचार, भगवान को न छूने से लेकर पीरियड्स के कपड़े दफनाने या जलाने तक, जानिए भारत में पीरियड्स से जुड़े रीति-रिवाज

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Period: भारत में पीरियड्स से जुड़े अलग-अलग ( Different associated with periods ) रिवाज हैं  जहाँ नारियों की पूजा होती है. वहाँ अनेकों को पीरियड्स के समय अलग रखा जाता है. पीरियड्स शुरू होने के बाद ( After periods start ) लड़कियों को गाय अचार भगवान को छूने से भी मना किया जाता है तो वही पूजा पाठ भी नहीं कर सकती है इतना ही नहीं पीरियड्स के दौरान ( During periods ) उपयोग होने वाले कपड़े ( Clothes to be used ) को जमीन के नीचे दफनाने या फिर जलाने की बात कही जाती है. आज हम इस आर्टिकल ( Today we are in this article ) पीरियड से जुड़े बारे में बताएंगे.

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भारत में पीरियड्स एक ऐसा विषय है जिस पर सबकी अलग-अलग राय है. हालांकि आज भी कई लोग ऐसे हैं जो इसके बारे में ठीक से बात करने से कतराते हैं. लेकिन यह समय हर महिला के लिए बहुत अलग होता है. क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. आज भी लोग मासिक धर्म वाली महिलाओं को अछूत मानते हैं. हालांकि मान्यता यह भी है कि पीरियड्स के समय उपयोग होने वाले कपड़ों को जलाने और दफनाने के पीछे एक लज्जा भी बड़ी वजह रही है. Period

इस दौरान महिलाओं के लिए अलग नियम बनाए गए हैं।  लेकिन क्या आप प्राचीन काल में भारत में काल से जुड़ी रस्मों के बारे में जानते हैं. कई जगह पर और पीरियड के टाइम पर लड़कियों की पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है लड़कियां बड़ी हो गई हैं. इससे परिवार भी बहुत खुश हो जाते हैं. शादी योग्य हो गई है. लेकिन इस टाइम पर लड़कियों से खाना नहीं बनवाया जाता है. Period

बता दें कि कर्नाटक में इस त्योहार को ‘ऋतुशुद्धि’ या ‘ऋतु ​​कला संस्कार’ के नाम से जाना जाता है. असम में पीरियड्स से जुड़ा ‘तुलोनिया बिया’ फेस्टिवल मनाया जाता है. इस दौरान बच्ची को सात दिन तक अलग रखा जाता है. तमिलनाडु में काल के त्योहार को ‘मंजल निरातु वीजा’ कहा जाता है. Period

पीरियड्स को माना जाता है शुभ

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पहले के समय में पीरियड्स को शुभ माना जाता था.  इतिहासकार नरेंद्र नाथ भट्टाचार्य के अनुसार पहले के समय में भगवान को पीरियड ब्लड चढ़ाया जाता था. क्योंकि महिलाओं को देवी के रूप में देखा जाता था।  उदाहरण के लिए, भगवान के मासिक धर्म को भारत के असम और उड़ीसा राज्यों में मनाया जाता है.  उनका मानना ​​था कि उपजाऊ भूमि और महिलाओं दोनों को आरामदायक, सम्मानित और खुशहाल रखना चाहिए. Period

पीरियड्स के कपड़े को जाता है दफनाया

पीरियड्स से जुड़ा एक रिवाज है. जहां महिलाएं अपने पीरियड्स के कपड़े गाड़ देती हैं. क्योंकि माना जाता है कि यह कपड़ा बुरी आत्माओं यानी नकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है. प्लेसेस ऑफ मास्टरेशन इन द रिप्रोडक्टिव लाइव्स ऑफ वूमेन ऑफ रूलर नॉर्थ इंडिया ( Places of Mastery in the Reproductive Lives of Women of Ruler North India ) के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में महिलाएं जादू करने के लिए इस्तेमाल किए गए पैड या कपड़े सड़कों पर फेंक देती हैं. यदि कोई व्यक्ति इस पर पैर रखता है तो इसका उस पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

महिलाओं को अलग करके रखना

प्राचीन काल से ही महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अलग रखा जाता था. लेकिन ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि वह अछूत थे. बल्कि लोगों का मानना ​​था कि इस समय महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण वे इन दिनों कम सक्रिय रहती हैं और ठीक से काम नहीं कर पाती हैं. लेकिन समय बीतने के साथ समाज ने अपनी परिभाषा बदल दी और उन्हें अपवित्र कहकर कुछ चीजों से वंचित करना शुरू कर दिया.

खट्ठी चीजें खाने से मनाही

ऐसा माना जाता था कि अगर कोई महिला अपने मासिक धर्म ( If a woman has her period ) के दौरान गाय को छू लेती है, तो वह बांझ हो जाती है. हालांकि इसके पीछे का लॉजिक शायद ही कोई जानता हो. इसी तरह इस दौरान महिलाओं को अचार और दही जैसी खट्टी चीजें खाने की भी मनाही थी.

इन राज्यों में काल से संबंधित त्योहार मनाए जाते हैं

क्या आप जानते हैं कि भारत के कई राज्यों में पीरियड्स को त्योहारों के रूप में मनाया जाता है?

कर्नाटक में इस त्योहार को ‘ऋतुशुद्धि’ या’ऋतु कला संस्कार के नाम से जाना जाता है.

असम में पीरियड्स से जुड़ा ‘तुलोनिया बिया’ का त्योहार मनाया जाता है।  इस दौरान बच्ची को सात दिनों तक आइसोलेट रखा जाता है।

Tamil Nadu में मासिक धर्म के समय को ‘मंजल निरातु वीजा’ ( ‘Manjal Niratu Visa’ ) कहा जाता है. इसमें सभी रिश्तेदारों को कार्ड देकर आमंत्रित किया जाता है. बालिका के लिए अलग झोपड़ी बनाई गई है. इसे हल्दी के पानी से स्नान कराया जाता है.

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