singrauli news: सिंगरौली। जिला मुख्यालय बैढन से 12 किलोमीटर दूर स्थित शक्तिनगर में ज्वाला देवी का मंदिर है जहा शक्तिपीठ ज्वाला मुखी मंदिर के अदभूत दृश्य है। इस पवित्र देवी स्थान पर एक नीम का पेड़ है जो हमेशा फूल देता है। साथ ही तालाब का पानी जिसमे कभी कीड़े नही पड़ते है। कहा जाता है की यहां देवी सती की जीभ के अग्रभाग का छोटा सा हिस्सा गिरा था।
singrauli news: कई सालों से जल रही अखंड ज्योति भी यहां श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है। बताया जाता है की ज्वाला देवी शक्तिपीठ के तीर्थ पुरोहितों के अनुसार, शक्ति स्वरूपा मां भगवती के जीभ के अग्रभाग का छोटा सा हिस्सा सिंगरौली के रानी बारी नामक गांव में गिरा था, जो बाद में चलकर ज्वालामुखी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। पुजारियों ने पौराणिक कथाओं का जिक्र करते हुए बताया गया कि श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली सिंगरौली राज्य के कुंवर उदित नारायण सिंह गहरवार को मां ज्वाला देवी ने स्वप्न दिया था। तब से ज्वाला मुखी मंदिर को लेकर तरह- तरह के बयान आ रहे है।
मां ज्वाला देवी ने दिया था स्वपन
कहा जाता है कीसपने में देवी ने कहा कि हे राजन तुम्हारे राज्य की राजधानी गहरवार के समीप रानी बारी गांव में नीम और बेल के जंगल में मेरी प्रतिमा पड़ी है। जिसकी तुम आराधना करो। तुम्हारे राज्य में सुख शांति और समृद्धि होगी। साथ ही तुम्हारे राज्य का यश पूरे विश्व में फैलेगा। इसके बाद राजा ने उस प्रतिमा की खोज कराई और उसको प्राप्त किया। इसके बाद राजा प्रतिमा को लेकर अपने राजधानी की ओर जाना चाहते थे, लेकिन काफी प्रयास के बाद भी वो प्रतिमा को ले जाने में असफल रहे। तब राजपूतों के सुझाव से मां ज्वाला देवी का स्थापना कराई गई। singrauli news
रामनवमी में एक महीने का लगता है विशाल मेला
चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी के दिन मंदिर का जीर्णोद्धार करते हुए मां की प्रतिमा को स्थापित कर विधि विधान से पूजा की गई। उसके बाद काशी के विद्वान पंडित तीर्थ पुरोहित गंगाधर मिश्र की मठपति के रूप में रखा गया। तभी से हर साल चैत्र रामनवमी में एक महीने का विशाल मेला लगता है। साथ ही यहां चैत्र और शारदीय नवरात्रों में भक्तों का तांता लगता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु नारियल, चुनरी माला फूल चढ़ाकर मनचाहा फल प्राप्त करते हैं। नवरात्र के दौरान मां के भक्त जवारी जुलूस लेकर हाथों में जवार, मशाल, त्रिशूल, खप्पर और तलवार आदि के साथ ढोल मजीरा के साथ नाचते गाते देवी दर्शन को आते हैं।
मंदिर के प्रधान पुजारी ने बताया रहस्य
मंदिर के प्रधान पुजारी श्लोकी मिश्रा बताते हैं कि, इस मंदिर परिसर में एक नीम का पेड़ है। जो बारह महीने यानी जनवरी से लेकर दिसम्बर तक इस पेड़ में फूल देखने को मिलता है। इसी मंदिर के पास एक तालाब भी है जिसका पानी हमेसा गंगा जल के समान पवित्र रहता है। उसमें कभी कीड़े नहीं पड़ते है। इस जल का हमेशा एक जैसा ही स्वाद रहता है। इस तालाब के जल से कई असाध्य रोगों का भी इलाज होता है। ऐसी मान्यता है।