Ban : सिंगरौली 3 दिसम्बर। अक्टूबर 2018 के महीने में बैढऩ ब्लाक स्थित पिपराकुरंद गांव के भूमियों के अंतरण एवं नामांतरण पर तत्कालीन कलेक्टर (the then collector) ने रोक लगा दिया था। करीब 5 साल बाद भूमियों के क्रय, विक्रय,नामांतरण (transfer of name),विभाजन एवं रजिस्ट्री (Registry) पर प्रतिबंध को जिला प्रशासन ने समाप्त कर दिया है। इस प्रतिबंध को हटाने में जिला प्रशासन को 5 साल का वक्त लगा है।
Ban : गौरतलब हो कि बैढऩ ब्लाक स्थित पिपराकुरंद में एनटीपीसी (NTPC at Piprakurand) के पत्राचार के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने उक्त गांवों के भूमियों की रजिस्ट्री, नामांतरण, विभाजन (Registry, Renaming, Partition) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध 31 अक्टूबर 2018 को लगाया गया था। जिसमें उल्लेख किया गया था कि एनटीपीसी (NTPC) यहां ऐश डाईक निर्माण प्रयोजन के लिए भूमियों का अधिग्रहण कर सकती है।
Ban – तकरीबन 5 साल बाद कलेक्टर के द्वारा उक्त गांवों के भूमियों के क्रय, विक्रय, नामांतरण, विभाजन पर लगाये गये प्रतिबंध को हटा तो दिया है। लेकिन जिला प्रशासन के इस कदम को लेकर गांव के ही लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।पिपराकुरंद के ग्रामीणों का कहना है कि जब एनटीपीसी के द्वारा भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाना था तो पांच साल तक कास्तकारों को अंधेरे में क्यों रखा गया। अचानक मुख्य महाप्रबंधक एनटीपीसी परियोजना के पत्र आते ही जिला प्रशासन ने सभी प्रतिबंध हटा दिया.Ban
Ban – पांच साल तक भूमियों के क्रय, विक्रय पर रोक से गरीब तबके के किसानों को कई तरह का नुकसान झेलना पड़ा है। फिलहाल एनटीपीसी मुख्य महाप्रबंधक परियोजना के द्वारा ऐश डाईक प्रयोजन के लिए पिपराकुरंद की जमीन को लेने से इंकार किये जाने के बाद जिला प्रशासन ने भले ही प्रतिबंध समाप्त कर दिया हो, किन्तु जिला प्रशासन एवं एनटीपीसी प्रबंधन की कार्यप्रणाली को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किये जा रहे हैं.Ban
शादियों के लिए भूमियों का करते हैं बिक्री – Ban
आलम यह है कि जिले में अभी भी गरीब व्यक्ति कम नहीं है। अपनी बेटी एवं बेटों की शादी के लिए उन्हें कई बार सोचना पड़ता है। इसके लिए साहूकारों के चंगुल में फसते हैं या फिर मजबूर होकर जमीन गिरवी रखते हैं नहीं तो ग्राहक मिले तो बेंच भी देते हैं और इसी के पैसे से बेटे, बेटियों की शादी भी करते हैं। पिपराकुरंद गांव में पांच साल तक जमीन के क्रय, विक्रय पर रोक लगाये जाने के बाद कई गरीब किसान साहूकारों के चक्कर में फस चुके हैं। जहां कर्ज लेकर बेटे, बेटियों की शादी किये हैं। कई ग्रामीणों के द्वारा सवाल उठाया जा रहा है कि पांच साल तक एनटीपीसी व जिला प्रशासन ने यहां के लोगों को अंधेरे में रखा रहा.Ban