Friday, April 26, 2024
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सिंगरौली जिला पंचायत में चल रहा निलंबित और बहाल करने का खेल, दलाल,दफ्तर और अधिकारी चर्चा में

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सिंगरौली 12 नवम्बर। जिला पंचायत का दफ्तर दलालों का अड्डा बन चुका है। यहां पहले पंचायत सचिवों को निलंबित करने के लिए योजना बनायी जाती है। पहले निलंबित करेंगे फिर बहाल कराने के एवज में भारी भरकम दाम वसूले जायेंगे। दाम वसूलने के लिए बकायदे टीम तैनात है। एक अधिकारी व एक कर्मचारी खूब चर्चाओं में है।


गौरतलब हो कि जिला पंचायत सिंगरौली के कुछ अधिकारी, कर्मचारी कमीशनखोरी को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। यहां जांच के आड़ एवं कार्यों की प्रगति जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान कार्ड योजना का हवाला देकर संबंधित मैदानी अमले को निलंबित करते हैं या फिर उनके वित्तीय अधिकार छिन लेते हैं। सूत्र बताते हैं कि वित्तीय अधिकार छिनने के बाद उसे बहाल कराने के एवज में 2-4 हजार नहीं बल्कि 30 से 40 हजार रूपये वसूल किया जाता है। दलालों के माध्यम से नकद नारायण जब पहुंचता है तभी उन्हें वित्तीय प्रभार के लिए आदेश जारी किये जाते हैं। यही हाल निलंबन का है।

बता दें कि जिस पंचायत सचिव को निलंबित कर दिया जाता है उसे बहाल कराने के एवज में 50 हजार रूपये फिक्स है। यदि इसी बीच राजनैतिक हस्तक्षेप हुआ तो कुछ नजराना कम कर दिया जाता है। लेकिन नजराना वसूल करना जन्म सिद्ध अधिकार माना जा रहा है। जिला पंचायत में तकरीबन दो साल से इस तरह का गोरखधंधा व्यापक पैमाने पर चल रहा है। इस पर किसी अधिकारी ने लगाम लगाने की हिमाकत नहीं किया। बल्कि दिन-प्रतिदिन बहाली करने के एवज में दाम बढ़ते गये।

फिलहाल जिला पंचायत के एक कथित चर्चित अधिकारी व एक अन्य कर्मचारी इन दिनों अपनी कार्यप्रणाली को लेकर खूब सुर्खियो में है। अधिकारी के बारे में बता दें कि वह पंचायतों में शिकायत पत्रों को लेकर पहुंचता है और दिखावे के लिए खूब बड़ी-बड़ी बाते करता है और कार्रवाई कराने का भरोसा देता है फिर दफ्तर वापस आते ही उसके सुर बदल जाते हैं। कर्मचारी के बारे में याददाश्त ताजा करा दें कि वह जिला पंचायत का खुद अपने आपको सर्वाेपरि मानता है। उसने आरटीई का दुरूपयोग करते हुए अपने बच्चों को एक निजी स्कूल में नि:शुल्क पढ़ा रहा है। ऐसी जन चर्चाएं हैं। जबकि वह सरकार का सेवक है।

सवाल उठता है कि तथाकथित कमीशनखोर जिला पंचायत के अमले पर अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष जिला पंचायत अंकुश लगा पायेंगे की नहीं इस बात की चर्चाएं जोरों पर हैं। हालांकि जिला पंचायत अध्यक्ष सोनम सिंह एवं उपाध्यक्ष अर्चना-नागेन्द्र प्रताप सिंह ने जिस तरह से अपना तेवर बैठकों में दिखाया है और उनकी मौजूदा कार्यप्रणाली स्पष्ट पारदर्शी दिख रही है ऐसे में लोगों की उम्मीदें इन्हीं पर टिकी हुई हैं।

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