Monday, April 15, 2024
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PM नेहरू ने मंच पिता की थी बेज्जती, बेटे अर्जुन सिंह दाऊ साहब ने खा ली थी कसम ! आनंद भवन से आया बुलावा

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PM Nehru had insulted the stage father, son Arjun Singh Dau Sahib had taken the oath! call from anand bhavan

PM : मध्यप्रदेश के तीन बार रहे मुख्यमंत्री स्वर्गीय कुंवर अर्जुन सिंह दाऊ साहब को राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता था उनके पिता को कभी दिवंगत पीएम जवाहरलाल नेहरू ने कभी अपमानित किया था. यह सब किनारे खड़े स्वर्गीय दाऊ साहब देख रहे थे. इस घटना का उन्हें इतना गुस्सा आया क्या है फिर एक दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गयें.

PM : सीधी –  मध्य प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले स्वर्गीय कुंवर अर्जुन सिंह दाऊ साहब का राजनीतिक सफर बड़ा दिलचस्प रहा है साल 1952 में हुई एक घटना से भले ही आहत हुए हूं लेकिन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. लोग कहते हैं कि उस दिन दाऊ साहब मन ही मन कसम खा लिए थे कि मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूगा और इस कांग्रेस को मध्यप्रदेश में जमीन यह ला दूंगा और हुआ भी वही.

PM नेहरू ने मंच पिता की थी बेज्जती, बेटे अर्जुन सिंह दाऊ साहब ने खा ली थी कसम ! आनंद भवन से आया बुलावा
Portrait of Indian politician and Prime Minister Jawaharlal Nehru (1889 – 1964), 1960. (Photo by Fred Stein Archive/Archive Photos/Getty Images)

बता दें कि सन 1952 मैं देश के कई हिस्सों पर विधानसभा के चुनाव चल रहे थे उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सीधी जिले के चुरहट विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी रहे कुंवर अर्जुन सिंह के पिता राव शिव बहादुर सिंह के समर्थन पर वोट मांगने पहुंचे थे. पंडित नेहरू मंच पर पहुंचते हैं और अचानक घोषणा करते हैं कि चुरहट से मेरे पार्टी का कोई प्रत्याशी नहीं है उसके बाद राव शिव बहादुर सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं और हार जाते हैं. इस घटना ने कुंवर अर्जुन सिंह को झकझोर देती है और यहीं से अर्जुन सिंह की सियासत में इंट्री हो जाती है. PM

सवाल यह है कि आखिर नेहरु जी ने ऐसा क्यों कहा तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे की क्या वजह रही. दरअसल रीवा रियासत के महाराजा मार्तंड सिंह के ही सरकार में शिव बहादुर सिंह मंत्री हुआ करते थे पन्ना में हीरा खदान संचालित थी जहां आरोप लगे कि लीज का नवीनीकरण के लिए शिव बहादुर सिंह ने भ्रष्टाचार किया और ₹25000 की रिश्वत ली यही वजह है कि जब नेहरू जी रीवा पहुंचे तो उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी लगी और जब वह चुरहट शिव बहादुर सिंह के प्रचार के लिए मंच पर पहुंच घोषणा कर दी कि चुरहट से कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं है. इसके बाद शिव बहादुर सिंह पर मुकदमा चलता है वह 1954 में मुकदमा हार जाते हैं और उन्हें 3 साल की सजा हो जाती है. यहीं पर कुंवर अर्जुन सिंह ने कसम खाई कि मैं अब मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनूंगा ?PM

पिता के अपमान के लिए निर्दलीय लड़ा पहला चुनाव

बताते हैं कि 1957 में पिता की बेइज्जती का बदला लेने के लिए अर्जुन सिंह सियासत पर अपना पहला कदम रखते हैं उस दौरान दाऊ साहब का चुरहट क्षेत्र में एक तरफा दखल था. उनके एक इशारे पर हजारों लोग इकट्ठा हो जाते थे दाल साहब के प्रभाव को देखते हैं कांग्रेस में शामिल होने का मौका मिला कांग्रेश टिकट देने को तैयार भी थी पर दाऊ साहब ने कहा कि पहले चुनाव जीत लूंगा उसके बाद पार्टी ज्वाइन कर लूंगा वह मझौली से निर्दलीय मैदान में उतरते हैं और भारी मतों से चुनाव जीते हैं. PM

नेहरु में अर्जुन सिंह से मिलने की जताई थी इच्छा

बतलाते हैं कि अर्जुन सिंह निर्दलीय चुनाव जीत कर  पिता के निर्दलीय चुनाव हारने और कांग्रेस में हुई बेज्जती और कलंक को अर्जुन सिंह ने धो दिया. अब बारी थी कांग्रेश में शामिल होने की. साल 1960 में विन्ध्य की सियासत में अर्जुन सिंह का काजल लगातार बढ़ रहा था बात दिल्ली पहुंची तो नेहरु जी ने मिलने की इच्छा जताई और संदेशा भेजा कि प्रधानमंत्री मिलना चाहते हैं. नेहरू जी ने जिस अर्जुन सिंह के पिता को बेइज्जत किया था आज उन्हीं के बेटों को आनंद भवन से बुलावा आया था. साल 1962 में कांग्रेस के टिकट से अर्जुन सिंह चुनाव लड़ते हैं और जीते हैं 1963 में वह पहली बार राज्य मंत्री बनते हैं.

राजनीति के रहे अबूझ पहेली

अर्जुन सिंह देश की राजनीति के ऐसे नेता थे, जो जहां भी जाते रहस्य का वातावरण अपने इर्द गिर्द बुन देते थे. साठ साल के राजनैतिक जीवन में अर्जुन सिंह कभी चाणक्य कहलाए तो कभी राजनीति की बूझ पहेली. वे तीन बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे फिर पंजाब के राज्यपाल, अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष और पांच बार केंद्रीय मंत्री रहे. PM

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