NGT: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में रोजाना पैदा होने वाले सीवेज (Sewage) और ट्रीटमेंट क्षमता में 1500 एमएलडी (mld) का अंतर है. इसका मतलब है कि अनट्रीटेड सीवेज (Untreated sewage) रोजाना नदी तालाबों में मिल रहा है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी (National Green Tribunal NGT) ने शिवराज सरकार (Shivraj Govt) को 3000 करोड़ (3000 carore) का जुर्माना लगाते हुए अपनी शर्तो में छोड़ा है कहा है.
NGT: भोपालः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने मध्य प्रदेश सरकार को बड़ी राहत देते हुए मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) पर लगे 3 हजार n करोड़ रुपए के जुर्माने को शर्त के साथ छूट दिया है. बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Govt) पर यह जुर्माना नदियों में सीवेज (Sewage) छोड़ने के मामले में लगाया गया था. जिस पर अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) NGT ने छूट दे दी. एनजीटी (ngt) ने साथ ही सरकार को नदी-तालाबों में मिल रहे सीवेज (Sewage) को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है.
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल जस्टिस सुधीर अग्रवाल (Sudhir Agarwal) और पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर ए सेंथिल की जोड़ी ने अपने फैसले में इस छूट का कारण बताते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव इकबाल बैस ने बिना तथ्यों को छिपाए साफगोई से स्वीकार किया है कि मध्य प्रदेश में रोजाना पैदा होने वाली सीवेज और ट्रीटमेंट क्षमता में 1500 एमएलडी का अंतर है. ऐसे में अन्य ट्रीट सीवरेज अनट्रीटेड सीवरेज(Treated Sewage Untreated Sewage) रोजाना नदी तालाबों में मिलकर गंदा कर रहे हैं वर्तमान परिस्थिति में मध्य प्रदेश इसके लिए तीन हजार करो रुपए का जुर्माना बनता है.
बता दें कि मध्य प्रदेश में रोजाना पैदा होने वाले सीवेज और ट्रीटमेंट क्षमता में 1500 एमएलडी का अंतर है. इसका मतलब है कि अनट्रीटेड सीवेज रोजाना नदी तालाबों में मिल रहा है. हालांकि अब मध्य प्रदेश सरकार भी इसके समाधान को लेकर गंभीर हो गई है और इसके लिए सरकार ने 9666 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन कर दिया है.
2366 करोड़ की लागत से 565 एमएलडी ट्रीटमेंट क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन हैं. साथ ही 7388 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है.
एशिया के विशालतम जलाशयों में एक रिहंद बांध प्रमुख जलाशयों में से एक है यह की बिजली से कई राज्य रोशन होते हैं लेकिन इस जलाशय से कई कंपनियों का अन्य ट्रीटमेंट प्लांट गंगा नदी के उप सहायक नदियों में मिल रहा है जिससे गंगा जैसी पवित्र नदियां भी गंदी हो चुकी है, बता दें कि एनजीटी ने सितंबर 2019 को सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि 2020 तक सभी नदी तालाबों में सीवेज मिलने से रोका जाए. निर्देश का उल्लंघन करने वाले राज्यों पर प्रति एमएलडी 2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया था. सिंगरौली में एनटीपीसी और एनसीएल से निकलने वाला
मध्य प्रदेश के दक्षिण के पठार से निकलने वाली रिहन्द नदी सोन नदी की प्रमुख सहायक नदियों व गंगा नदी की उप सहायक नदियों में से एक है, जिसका उद्गम छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की अम्बिकापुर तहसील से होता है. इसे ‘रेहर’ नदी के नाम से भी जानते हैं. रिहन्द नदी परियोजना भारत की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं में से एक मानी जाती है.
गंगा की उप सहायक नदियों को कर रहे गंदा

गंगा नदी की उप सहायक नदी रिहन्द नदी मुख्यतः उत्तर- प्रदेश, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य में बहती है तथा अपने सफ़र के अन्तिम पड़ाव में सोनभद्र (उ.प्र) में सोन नदी में समाहित हो जाती हैं. इस नदी का एनसीआर और एनटीपीसी ने पूरी तरह से गंदा कर दिया है! यहां एनटीपीसी ,एनसीएल, हिंडालको, जेपी त्रिमूला जैसी कंपनियां काम कर रही है लेकिन कंपनी से निकलने वाला अनट्रीटेड सीवरेज को रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे इसके लिए उन्हें एक समय सीमा निर्धारित करने की बात कही.
उल्लेखनीय है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बीते माह ही तेलंगाना सरकार पर भी 3800 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था. जिसके बाद राज्यों की चिंता बढ़ गई और वह अपने-अपने पक्ष रख दलील दी दरअसल तेलंगाना सरकार भी राज्य से निकलने वाले सॉलिड और लिक्विड प्रदूषण को मैनेज करने में नाकाम रही, जिसके चलते उस पर यह भारी जुर्माना लगाया गया.