Kisan Sangharsh Samiti submitted a memorandum to the Chief Minister for a fair investigation of a 10-year-old case
सूत्रों से मिले साक्ष्य तो यह भी बताते हैं कि उस दरमियान उक्त अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा जिले के कलेक्टर कार्यालय में रखा राजस्व अभिलेख बंदोबस्त से पहले खतौनी 1958-59 एवं वर्ष 1981-82 से वर्ष 1984-86तक के राजस्व अभिलेखों में भी मध्यप्रदेश शासन की भूमि पर भूमि स्वामी लिखा गया है।इतना ही नहीं बल्कि उक्त अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा उपखंड कार्यालय देवसर में रखे कई विभिन्न राजस्व अभिलेखों में भी सफेद स्याही लगाकर विभिन्न फर्जी प्रविष्ठियां दर्ज कर कई अनैतिक लाभ लिया गया है। kisan
उक्त अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा ग्राम कठदहा तत्कालीन तहसील देवसर के राजस्व रिकॉर्ड के साथ कई विभिन्न ग्रामों की मध्यप्रदेश शासन स्वत्व की भूमियों को बगैर किसी आदेश हवाला के ही दर्ज कर दिया गया है।मजे की बात तो यह है कि उक्त मामले में संलिप्त अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा ग्राम कठदहा तत्कालीन तहसील देवसर में अपने साथियों के नाम करने के साथ ग्राम कारी कर्री के अपने परिवार जनों के नाम भी मध्यप्रदेश शासन की भूमि का भूमि स्वामी स्वत्व प्रदान किया गया है। यहां तक की संलिप्त उक्त मामले में अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा सफेद स्याही की प्रथा तहसील उपखंड एवं जिले के राजस्व अभिलेखों पर चलाकर कई ग्रामों की भूमि एवं विभिन्न आदेशों में सफेद स्याही का प्रयोग करते हुए कई नामों का फेर-बदल किया गया है। kisan
वहीं किसान संघर्ष समिति ने बर्खास्त निर्दोष पटवारी को न्याय दिलाने की कमर कस ली है।वहीं संघ ने कि दो टूक शब्दों में कहा है कि अगर समय रहते उक्त बर्खास्त निर्दोष पटवारी के साथ न्यायोचित कार्यवाही नहीं की जाती तो संघ धरना प्रदर्शन सहित उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा।जिसकी तमाम जवाबदेही शासन और प्रशासन की होगी।kisan
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