जनपद पंचायत देवसर के ग्राम पंचायत खंधौली के पीएम आवास घोटाले का मामला अब तूल पकड़ने लगा है यहां जांच अधिकारी सीईओ ने अपने मातहतों पर जांच में दरियादिली दिखाते हुए एक ऐसे आदमी से कर्मचारी पर आरोप मढ़ दिया कि लोग हैरान है. लोहिया आवास घोटाले से पर्दा उठेगा तो कई चेहरे बेनकाब होंगे.
सिंगरौली 30 अक्टूबर | देवसर जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत खंधौली में प्रधानमंत्री आवास योजना के घोटाले में नित नये मोड़ सामने आ रहे हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि जांच के नाम पर लीपापोती करते हुए जांच टीम ने अपने मातहतों पर दरियादिली दिखाते हुए केवल संविदा कर्मचारी रोजगार सहायक को सबसे बड़ा गुनाहगार साबित करने का प्रयास किया है। जांच टीम की कार्यप्रणाली व उच्च अधिकारियों की चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है।
गौरतलब हो कि जनपद पंचायत देवसर के ग्राम पंचायत खंधौली में प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण कार्य में व्यापक पैमाने पर घोटाला किये जाने का आरोप लगाया जा रहा है। इस आरोप के बाद जिला पंचायत सीईओ के निर्देश पर अतिरिक्त जिला पंचायत सीईओ व प्रभारी जनपद सीईओ देवसर अनुराग मोदी के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित की गयी थी। किन्तु आरोप है कि जांच टीम ने अपने कई मातहतों पर रहम दिखाते हुए ग्राम रोजगार सहायक प्रदीप मिश्रा को सबसे बड़ा गुनाहगार साबित करते हुए उनके विरूद्ध जियावन थाने में एफआईआर देवसर जनपद के ब्लाक क्वार्डिनेटर प्रभारी आवास अशोक दुबे के माध्यम से एफआईआर करा दिया गया। एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच टीम भी सवालों के घेरे में आ गयी है।
आरोप लगाया जा रहा है कि जांच टीम के कर्ताधर्ता ने एकतरफा जांच कर केवल ग्राम रोजगार सहायक को दोषी माना जा रहा है। जबकि सरकार की नुमाइंदों की कोई जबावदेही नहीं बतायी गयी है। सूत्र बताते हैं कि इन्हें जांच टीम ने क्लीन चिट दिया है। हालांकि जांच टीम ने जांच प्रतिवेदन का खुलासा नहीं किया है। लेकिन खबरें बाहर आ रही हैं कि इस मामले में ब्लाक क्वार्डिनेटर, उपयंत्री, पीसीओ एवं पंचायत सचिव व जनपद सीईओ पर बड़ा दिख दिखाया है। जबकि सूत्र बताते हैं कि आवास संबंधी मामले में सचिव की जिम्मेदारी प्रत्येक हितग्राही आवास का सही रिकार्ड, खाता नंबर कलेक्ट कर हितग्राही का चयन और ग्राम रोजगार सहायक से मिलकर जीओ टैग कराना एवं चरणबद्ध फोटो खिचाना रहता है।
बता दें कि रोजगार सहायक का दायित्व है कि सचिव, पीसीओ, उपयंत्री एवं सीईओ के निर्देशों के अनुसार फिल्ड पर कार्य करें। इन सबके बावजूद जांच टीम ने रोजगार सहायक के अलावा किसी अन्य पर घोटाले की जबावदेही नहीं सौपा है। ऐसे में जांच टीम पर भी सवालिया निशान खड़े किये जा रहे हैं। साथ ही उस दौरान जिस वक्त आवासों का निर्माण कार्य चल रहा था कि तत्कालीन जनपद सीईओ किस काम में व्यस्त थे कि एक दिन भी फिल्ड का दौरा नहीं किये। फिलहाल खंधौली ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री आवास घोटाले को लेकर अधिकारियों, कर्मचारियों के भूमिका पर भी तरह-तरह के सवाल खड़े किये जा रहे हैं।
