Burhanpur Taj Mahal: कहते हैं प्यार की कोई कीमत नहीं होती। यह अनमोल(It is priceless) होती हैं. इसी वजह से मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल(Begum Mumtaz Mahal) के याद में आगरा में ताजमहल बनवाया था। आगरा के ताजमहल(Taj Mahal of Agra) को आज भी प्रेम की अद्भुत निशानी(wonderful girl) माना जाता है. लेकिन आप शायद नहीं जानते कि मध्य प्रदेश के बुरहानपुर(Burhanpur of Madhya Pradesh) में भी एक ताजमहल है. जो लोगो के बिच प्रसिद्धि पाया हुआ हैं.
बुरहानपुर में बना ताजमहल इसलिए भी अनोखा है क्योंकि इसे किसी बादशाह ने नहीं बनवाया था. एक शिक्षाविद् ने अपनी पत्नी को यह ताजमहल गिफ्ट किया था. Burhanpur Taj Mahal
यह प्यार की निशानी भी है

आगरा के ताजमहल की तर्ज पर बना बुरहानपुर का ताजमहल भी किसी के प्यार की निशानी है। लेकिन इसे किसी सुल्तान ने नहीं बनवाया था। एक शिक्षाविद ने इस ताजमहल को अपनी पत्नी के लिए बनवाया था। उन्होंने इसे अपनी पत्नी से किए वादे को पूरा करने के लिए बनवाया था। इसे देखने के लिए भी काफी संख्या में लोग आते हैं।
आकार में छोटा, लेकिन उतना ही भव्य और आकर्षक

बुरहानपुर में ताजमहल शिक्षाविद आनंद प्रकाश चौकसे ने अपनी पत्नी मंजूषा चौकसे के लिए बनवाया था। देखने में आगरा के ताजमहल के समान, यह ताजमहल आकार में बहुत छोटा है, लेकिन उतना ही भव्य और प्रभावशाली है. Burhanpur Taj Mahal
यह अंदर से भी कमाल का दिखता है.

बुरहानपुर का ताजमहल बाहर से जितना खूबसूरत है. अंदर से भी उतना ही खूबसूरत है। इसमें एक बड़ा हॉल है। नीचे दो बेडरूम और ऊपर दो बेडरूम भी हैं। इसमें किचन, लाइब्रेरी और मेडिटेशन रूम भी है। यह आगरा के मूल ताजमहल से आकार में तीन गुना छोटा है।
ताजमहल का बुरहानपुर से पुराना नाता है

मुमताज महल की याद में मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया आगरा का ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है। एमपी का बुरहानपुर भी शाहजहां और मुमताज के प्यार की अंतहीन यादें समेटे हुए है। शहर के शाही महल, शाही हमाम, अहुखाना आदि ऐतिहासिक धरोहरों में इनके प्रेम की स्मृति आज भी जीवित है। कम ही लोग जानते हैं कि आगरा में ताजमहल पहले बुरहानपुर में बनना था, लेकिन तीन कारणों से नहीं बन सका।
बुरहानपुर में ताजमहल तीन कारणों से नहीं बना

बुरहानपुर में ताजमहल न बन पाने का मुख्य कारण यहाँ की मिट्टी का ढीलापन था। दूसरा स्थल जहां ताजमहल का निर्माण होना था वह ताप्ती नदी के तट पर था। नदी का किनारा छोटा होने के कारण वह ताजमहल की छाया नहीं बना सकती थी। ताप्ती नदी का बाढ़ आना भी इसका एक कारण था। तीसरा प्रमुख कारण ताजमहल मकराना का सफेद पत्थर का निर्माण था। लंबी दूरी होने के कारण इस पत्थर को बुरहानपुर ले जाना बहुत मुश्किल था।
आनंद प्रकाश चौकसे शिक्षा के क्षेत्र में एक मास्टर हैं

शिक्षाविद आनंद प्रकाश चौकसे ने अपनी पत्नी के लिए ताजमहल बनवाया। उनके पास शिक्षा में कौशल है। वे कई सालों से अपने स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनका स्कूल देश भर में प्रसिद्ध है। जितना प्यार वह अपने परिवार से करते हैं, उतना ही प्यार अपने स्कूल के बच्चों से भी करते हैं. Burhanpur Taj Mahal